दुर्गा चालीसा कैसे किया जाती है?

हिन्दू धर्म में ईश्वर को परम् सर्वशक्तिशाली माना गया है। ऋग्वेद के अनुसार ऋषियों ने देवी देवताओं में  मानवीय गुणों का वर्णन किया है।  माँ दुर्गा को शक्ति का स्वरूप माना गया है। वह कोई साधारण शक्ति नहीं।  एक ऐसी शक्ति जो सबसे खतरनाक जीव शेर को नियंत्रित करती है। तो आप यह समझ लीजिये कि जो शक्ति एक शक्तिशाली शेर को अपने वश में  कर सकती है उसे अपना वाहन बना सकती है। वह कितनी शक्तिशाली होगी। ऐसी माँ दुर्गा की पूजा अर्चना करना हर सनातन परंपरा के मानने वाले व्यक्ति की इच्छा अवश्य होती होगी। माँ दुर्गा की साधना या पूजा करने के लिए दुर्गा सप्तशती  में विधिवत् वर्णन किया गया है।

आपके लिए नित्य दुर्गा सप्तशती का पाठ  कर पाना समय की कमी या अन्य असमर्थता के कारण संभव नहीं हो सकता है। तो आपकी सुविधा के लिए माँ दुर्गा के परम् भक्त और उपासक देवीदास जी ने संक्षेप में दुर्गा चालीसा की रचना की थी उन्होनें दुर्गा चालीसा में माँ दुर्गा के सभी रूपों का वर्णन किया है इसके  साथ ही माँ दुर्गा की महिमा का भी विस्तार से बखान किया है। इसके पाठ करने से भी आपको माँ दुर्गा के पूजन और पाठ का पूरा लाभ मिल सकता है।  अब यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप कितनी श्रद्धा, भक्ति भाव और विश्वास के साथ माँ दुर्गा की चालीसा का पाठ करते हैं।

 

दुर्गा चालीसा पाठ की विधि

सामान्य रूप से आप प्रात:काल उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान आदि कर साफ कपड़े पहनें उसके बाद पवित्र और शांत मन से माँ दुर्गा की पूजा उपासना के लिए तैयार हो जाएं। आप अपने घर में या मन्दिर में माँ भगवती दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने एक दीपक या धूप बत्ती जलाएं और देवी माँ को फूल, व प्रसाद अर्पित करें और श्रद्धा पूर्वक दुर्गा चालीसा का पाठ करें। दुर्गा चालीसा का पाठ करते समय आप माँ के नौ स्वरूपों का ध्यान करते रहें।  माँ दुर्गा के यह नौ स्वरूप इस प्रकार हैं;

 

प्रथम शैलपुत्री

द्वितीय ब्रह्म कारिणी

तृतीय चन्द्रघंटा

चतुर्थ कूष्माण्डा

पंचम् स्कन्दमाता

षष्ठम् कात्यायनी

सप्तम् शिवरात्रि

अष्टम् महागौरी

नवम् सिद्धिदात्री

 

एक श्लोक में आप माँ दुर्गा के इन रूपों को ऐसे याद कर सकते हैं।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।

तृतीयं चन्द्र घण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः।।

 

माँ दुर्गा के नौ रूपों की विशेष पूजा अर्चना वर्ष में दो बार नवरात्रि  के अवसर पर  की जाती है।  यह दो नवरात्रि  आश्विन मास में शारदीय और चैत्र मास में वासंतिक नवरात्रि के रूप में जानी जाती है। इन दिनों  हर साल देवी के सभी रूपों की श्रद्धा भाव के साथ पूजा अर्चना की जाती है।

इसके साथ ही आप वर्ष भर दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ कर सकते हैं। नियमित रूप से  दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपको देवी माँ का आशीर्वाद मिलता है और आपके जीवन में माँ की कृपा बनी रहती है।

 

दुर्गा चालीसा पाठ का  महत्व?

 

दुर्गा चालीसा के पाठ का महत्व आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि लोग नवरात्रि में देवी के मंदिरों में, अपने अपने घरों में और जगह-जगह रात्रि जागरण में माँ दुर्गा के नामों, रूपों और उनके कामों का गुणगान करते हैं। नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही दुर्गा चालीसा के पाठ से मां दुर्गा को आप आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं। इसलिए दुर्गा चालीसा के पाठ का विशेष महत्व माना जाता है।

 

 क्या हम दुर्गा चालीसा रोज पढ़ सकते हैं?

 

परम् शक्तिशाली माँ दुर्गा की नियमित पूजा आराधना करने से आप अपने सभी कष्टों और दुखों से मुक्ति पा सकते हैं। आपको अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए क्योंकि  जो परम् शक्तिशाली है वही आपकी भी रक्षा कर सकता है। इसलिए आपको  नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से आपको निम्न लाभ प्राप्त हो सकते हैं:-

  • नियमित पाठ करने से आपको मानसिक शांति मिलती है और तनाव व चिंताओं से भी मुक्ति मिलती है।
  • दुर्गा चालीसा के नियमित पाठ करने से आप अपने विरोधियों को जीत सकते हैं। और आपके शत्रु कमजोर पड़ने लगते हैं।
  • जब आप नियमित पाठ करते हैं तो आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और सफलता मिलती है।
  • दुर्गा चालीसा के रोज पढ़ने से आपके और आपके परिवार में बुरी शक्तियों का असर नहीं  पड़ता है।
  • इस चालीसा के  नित्य पाठ करने से आपको आर्थिक लाभ भी होता है और जीवन में आने वाले परेशानियों से लड़ने की ताक़तमिलती है। आपके मन से  निराशा और निगेटिविटी  दूर हो जाती है। और आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पा सकते है।

निष्कर्ष

 

दुर्गा चालीसा  के पाठ में  आप क्या पढ़ते हैं।  इस चालीसा के पाठ में माँ दुर्गा की उत्पत्ति कैसे और क्यों हुई इस बारे में वर्णन किया गया है। आगे आप पढ़तेल हैं कि कैसे माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए देवताओं ने अपनी शक्तियों से एक आदि शक्ति को जन्म दिया जिसे आज सर्वशक्तिशाली माँ दुर्गा के रूप में लोग जानते हैं। माँ दुर्गा ने महादुराचारी दैत्य महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके चंगुल से बचाया और उन्हें स्वर्ग लोक वापिस दिलाने में मदद की थी। दुर्गा चालीसा में माँ दुर्गा के सभी रूपों के साथ ही उनकी महिमा का भी वर्णन विस्तार में किया है। कई पौराणिक कथाओं में अनुसार देवी दुर्गा को इस संसार का संचालक भी बताया गया है क्योंकि उनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के गुण विद्यमान हैं।

Leave a Comment