हनुमान चालीसा का महत्व जानने से पहले आपको हनुमान चालीसा की पृष्ठभूमि पर ध्यान देना चाहिए। आपको यह अवश्य जानकारी होनी चाहिए कि किन परिस्थितियों में हनुमान चालीसा की रचना की गई। और इस चालीसा के पाठ करने से आपको क्या लाभ हो सकता है। यह सब आपको हम आगे बताएंगे। तो पहले आप यह समझ लीजिए कि हनुमान चालीसा के जाप करने से आपको क्या लाभ होता है?
मनुष्य की प्रवृत्ति कहो या आदत कहो वह बिना लाभ की भावना के कोई काम नहीं करता है। मनुष्य भगवान का स्मरण तभी करता है जब वह या किसी भय से ग्रसित हो या फिर किसी लोभ या लालच में पड़ा हो। सामान्य हालातों में वह कभी न किसी मन्दिर जाएगा और न ही कभी भगवान के नाम का सुमिरन करेगा। इसी परिप्रेक्ष्य में तुलसीदास की रचना पर कुछ कहने से पहले आप कबीर दास के इस दोहे को अवश्य याद कर लीजिए।
कबीर दास उवाच;
दुख में सुमिरन सब करैं, सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करै, तो दुख काहे का होय।।
हनुमान चालीसा के पाठ का महत्व हनुमान चालीसा की चौपाइयों में स्वयं निहित है। हनुमान जी का प्रताप त्रेता युग से अभी तक लगातार बरकरार है। और उनका यह प्रभाव आगे भी बरकरार रहेगा, क्योंकि हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त हुआ था। अर्थात वह अजर-अमर हैं। उन्हें अमरता का वरदान प्राप्त हुआ है। वे इस पृथ्वी पर अन्यान्य रूपों में घूमते रहते हैं और अपने रामभक्तों पर अपनी कृपा बरसाते रहते हैं। प्रभु श्रीराम ने त्रेता युग में हनुमान जी को यह जिम्मेदारी दी थी कि वह पृथ्वी पर रहकर प्रभु के भक्तों का कल्याण करते रहें। इसलिए वह अनन्त काल तक किसी भी रूप में रहकर इस धरती पर मौजूद रह सकते हैं। इस पूरे ब्रह्मांड में हनुमानजी ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी भक्ति से उनके भक्त हर तरह के संकट से पार हो जाते हैं। यह हनुमान जी की शक्ति का बड़ा चमत्कारिक सत्य है।
ऐसा नहीं है कि हनुमान चालीसा अन्य धर्म ग्रंथों की तरह केवल किसी खास वर्ग के लोगों को ही पढ़नी चाहिए। यह बच्चे, बूढ़े, मरणासन्न, जवान, अमीर-गरीब, राजा-रंक, रोगी-नियोगी, योगी-वियोगी, विद्यार्थी, गृहस्थ, सन्यासी, वाणप्रस्थी सभी के लिए उपयोगी है।
हनुमान चालीसा की एक अतिरिक्त विशेषता यह है कि यह किसी नियम बंधन से बंधी नहीं है कि जैसा अन्य पूजा पद्धतियों में आसन, मुद्रा, संकल्प, विनियोग, अगन्यास, करन्यास, पवित्रता आदि का नियम निर्धारित किया गया है।
हनुमान चालीसा सभी के लिए सुलभ है। समाज के सभी वर्गों के लिए हनुमान चालीसा की उपयोगिता इस चालीसा में व्यक्त है। जैसे विद्यार्थियों के लिए कहा गया है ;
‘बल, बुद्धि, विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार’
इसी तरह रोगियों के लिए;
‘नाशै रोग हरि सब पीरा’
भूत प्रेत के डर से मुक्ति के लिए, ‘ भूत पिशाच निकट नहि आवैं। महावीर जब नाम सुनावैं।।’
सब संकटों से निपटने के लिए, ‘ संकट कटै मिटै सब पीरा’
इस तरह से आप देखते होंगे कि हनुमान चालीसा सब समाज के लिए बड़ी उपयोगी है इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है।
इस चालीसा में नाम के अनुरूप चालीस चौपाई हैं जिनमें हनुमान जी का गुणगान किया गया है। और इन गुणगान से आपको क्या लाभ होगा यह वर्णन किया गया है।
हनुमान चालीसा किसके द्वारा लिखी गई है?
हनुमान चलीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। और इस हनुमान चालीसा की रचना के पीछे एक बड़ी कहानी है। इससे चालीसा का महत्व और भी बढ़ जाता है। घटना इस प्रकार है कि तुलसीदास मथुरा जाते समय रास्ते में फतेहपुर सीकरी के पास अपने मित्र अब्दुल रहीम खानखाना से मिलने के लिए कुछ समय के लिए रुक गये। यह वही रहीम खानखाना हैं जो रहीमदास के नाम से जग प्रसिद्ध हैं और जिनके दोहे आप पढ़ते हैं। तो जब तुलसीदास के वहाँ होने की खबर तत्कालीन शासक अकबर को मिली तो अकबर ने तुलसीदास को अपने दरबार में शामिल करने के लिए कहा। कहा क्या आदेश दिया। और आदेश में यह कहा कि तुलसीदास अकबर की प्रशंसा में केवल लिखें। लेकिन तुलसीदास जी ने इनकार कर दिया। तुलसीदास जी ने कहा;
‘हौं तो चाकर राम के पटौ लिखौ दरबार। अब क्या तुलसी होयंगे नर के मनसबदार।।’
अर्थात हमारा तो एक ही राजा हैं और वह भगवान श्रीराम हैं। बाकी श्रीराम के अलावा मैं किसी को राजा नहीं मानता। इसलिए मैं आपके लिए नहीं लिख सकता।
तब अकबर ने तुलसीदास को गिरफ्तार करवाकर जेल में डाल दिया। तब जेल में रहते हुए तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना की और प्रथम बार इस चालीसा का जाप किया। कैद में रहते हुए तुलसीदास को चालीस दिन हो गए थे कि फिर दैवयोग से न जाने कहाँ से हजारों बन्दरों ने फतेहपुर सीकरी में अकबर के महल को घेरकर हंगामा मचा दिया। इतने बन्दरों के एक साथ हमले से अकबर घबरा गया। फिर उसने बन्दरों के आने का कारण पूछा तो दरबारियों ने तुलसीदास जी को कैद करने के कारण बन्दरों का एकत्रीकरण होना बताया। तब अकबर ने तुलसीदास को जेल से मुक्त कर दिया। तो इस तरह हनुमान चालीसा की रचना तुलसीदास जी ने की और उसके लाभ के प्रथम लाभ पाने वाले बने।
हनुमान चालीसा का पाठ कैसे करें?
तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना के अंत में लिखा है;
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्ध साखी गौरीसा।।
कहने का मतलब यह है कि आप केवल हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसे उन्होंने किसी नियम से नहीं बाँधा है। बस पढ़ते रहिये। आप किसी भी हालत में हैं पवित्र हों या अपवित्र हो, लेटे हो, बैठे हो, रास्ते में चल रहे हो, शौच कर रहे हो, बीमार हो। किसी भी दशा में हो बस आप हनुमान चालीसा पढ़ते रहो। आपको पूरा पूरा लाभ मिलेगा। आप हनुमान चालीसा को किसी भी तरीके से, किसी भी समय, किसी भी स्थान पर पढ़ सकते हैं।
फिर भी संक्षिप्त रूप से आपके मानसिक संतोष के लिए एक विधि यह है;
कि आप स्नान करके हनुमान जी के मन्दिर में मूर्ति के सामने या अपने घर में ईशान कोण में साफ लाल रंग के आसन पर बैठें और हनुमान जी को लाल फूल, लाल सिन्दूर, चमेली का तेल, बेसन या बूँदी के लड्डू या गुड़, गुड़धनिया या गुड़- चना, भोग के लिए रखिए। एक पात्र में जल रखें और एक शुद्ध घी का दीपक जलायें। फिर हनुमान जी का आवाहन करें। इसके बाद हनुमान जी की पूजा करें। उनको फूल, और भोग समर्पित करें, जल समर्पित करें और फिर हनुमान चालीसा का पाठ करें। अगर एक बार पाठ करना है तो एक पाठ करें और यदि ज्यादा बार पाठ करना चाहते हैं तो आप अपनी संकल्प शक्ति के अनुसार पाठ करें। पाठ पूरा होने के बाद हनुमान जी की आरती करें। और फिर उनसे पूजा में हुई गल्तियों के लिए क्षमा मांगे। फिर उनको अपने स्थान पर जाने का निवेदन इस प्रकार करें;
कथा विसर्जन होत है सुनहु वीर हनुमान।
जाय के आसन लीजिए तेजपुंज बलवान। ।
इस तरह हनुमान जी को विदा करके आप स्वयं प्रसाद ग्रहण करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।